what is Terminology of accounting in hindi (एकाउंटिंग की शब्दावली क्या होता है?)

एकाउंटिंग की शब्दावली क्या होता है, अकाउंट में प्रयोग होने वाली शब्दावली की जानकारी इस पोस्ट में मिलेगी.   (Terminology of accounting) 

साथियों एकाउंटिंग  के अपना एक शब्द(word)  होती है,  और उस शब्द का अपना एक अर्थ होता है,  जिसका मतलब जानना एकाउंटिंग करने वाले के लिए अनिवार्य होता है.  वैसे तो बहुत ऐसी शब्दावली  हैं जिनका प्रयोग सामान्य बोलचाल की भाषा में आम व्यक्ति भी बोलता है और उसे जानता और समझता भी है.

 साथियों आइए हम आपको एकाउंटिंग में प्रयोग होने वाले शब्दावली को समझते हैं.

Trade/Business 

   कोई भी धंधा-उद्योग जो profit  कमाने के लिए अर्थात लाभ कमाने के लिए किया जाता है, उसे ट्रेड या बिजनेस कहा जाता है.

  किसी भी Trade या व्यापार  में लाभ और हानि होने की संभावना होती है.

Proprietor 

 वह व्यक्ति,  जो व्यापार में पूंजी लगाता है, और trade  का संचालन करता है अर्थात चलाता है, और जोखिम उठाता है, तथा लाभ और हानि का जिम्मेदार होता है वह व्यक्ति प्रोपराइटर कहलाता है.

Partners.

 जब किसी बिजनेस में एक से ज्यादा व्यक्ति एक निश्चित राशि के रूप में  पूजी की व्यवस्था करते हैं तो वे सभी उस बिजनेस में पार्टनर कहलाते हैं.

Transaction 

 बिजनेस में  दो पक्षों के बीच उधार या नकद के रूप में जो लेनदेन किया जाता है वह ट्रांजैक्शन कहलाता है. किसी भी ट्रेड में पूजी लगाना माल खरीदना या बेचना कैश लेना अथवा देना आदि  यह सभी ट्रांजैक्शन के अंतर्गत आती है. 

Capital

 वह धन जो व्यापारी अपनी बिज़नस करने के लिए माल अथवा संपत्ति के रूप में लगाता है वह कैपिटल कहलाती है. अर्थात दूसरे शब्दों में  ट्रेड प्रारंभ करने के लिए लगाई गई cash भी कैपिटल कहलाती है.

Drawings 

 जब कोई बिजनेसमैन अर्थात व्यापारी अपने ट्रेड में से अपने निजी कार्य के लिए निकाली गई कैश अर्थात निजी  खर्च को drawings  कहा जाता है.

जैसे: व्यापारी business मे कुछ पैसा निकाल कर अपने बच्चो का Fee payment किया। 

Purchase 

 अपने व्यवसाय के लिए खरीदा गया माल अर्थात सामान Purchase  कहलाता है.  वैसे आपको पता ही होगा  की खरीदना का इंग्लिश  परचेज होता है .

 परचेज उधार या नगद दोनों  हो सकता है. 

Purchase return

  जब हम  खरीदे गए माल को किसी कारणवश वापस करते हैं तो यह परचेज रिटर्न कहलाता है.

Sales

 जब हम अपने व्यवसाय  मे माल अर्थात सामान को किसी व्यक्ति से बेचते हैं तो उसे हम sales  कहते हैं और यह sales  उधार  या नगद हो सकता है नगद बेचे गए सामान को  cash sales और उधर भेजे गए माल को क्रेडिट सेल्स कहा जाता है.

Sales Return.

 बेचे गए माल को यदि कोई ग्राहक किसी कारणवश वापस करता है तो यह सेल्स रिटर्न कहलाता है. 

Discount 

 माल की कीमत पर खरीद के समय दी गई छूट को डिस्काउंट कहा जाता है यह डिस्काउंट सामान्यतः प्रतिशत में होती है.

Commission 

 माल की मात्रा के आधार पर खरीद के समय माल की कीमत पर दी गई डिस्काउंट को कमीशन कहा जाता है.  साथियों कमीशन दो प्रकार के होते हैं एक commission प्राप्त किया जाता है तो दूसरा commission  दिया जाता है. 

 Sundry Debtor

व्यापारी  जिस ट्रेड अथवा फर्म को अपना माल उधार बेचता है अर्थात जिससे व्यापारी को कैश राशि प्राप्त करनी होता है उसे sundry Debter कहते हैं.

Sundry creditor. 

व्यापारी जिस Trade अथवा फर्म से माल उधार खरीदा है अर्थात जिससे व्यापारी को  money भुगतान करना होता है उसे sundry creditor कहते हैं.

Assets

 बिजनेस में  जो संपत्ति है चाहे वह कैश हो या कोई सामान वह assets कहलाता है. 

साथियों assets दो प्रकार के होते हैं.

1- Fixed Assets 

  बिजनेस का वह सामान जो लंबी अवधि के लिए प्रयोग में लाया जाता है  जैसे मान लीजिए कि आपके पास एक   कागज का  छोटी गिलास  बनाने वाली एक बिजनेस है तो गिलास बनाने के लिए आपने जो मशीन खरीदा है वह मशीन fixed assets  होगा क्योंकि वह मशीन जब तक रहेगी तब तक आपका व्यवसाय चलता रहेगा.  इस तरह से आप समझे की बिजनेस में जो सामान बेचने के लिए नहीं खरीदा गया है वह सिर्फ आप के व्यवसाय में उसकी आवश्यकता है तो वह सभी fixed Assets  होगा. 

2- current assets 

 बिजनेस में वह प्रत्येक सामान जो कम अवधि के लिए आपके पास रहता है फिर वह दूसरे के पास चला जाता है तो वह सामान करंट असेट्स  होता है.  दूसरे शब्दों में आप समझ सकते हैं कि बिजनेस में जो सामान बेचने के उद्देश्य से लाया गया हो वह करंट ऐसेट कहलाता है. 

Goods

 व्यापार में कोई समान अधिक मात्रा में  बेचने के लिए खरीदा जाता है   उसको goods कहा जाता है. 

Revenue 

साथियों जब आप अपने व्यवसाय में  अपना माल (goods) बेचते हैं तो उसके बदले में जो पैसा आपको प्राप्त होता है तो वह प्राप्त पैसा ही आपका रिवेन्यू होता है  यह रिवेन्यू per day,  weekly,  monthly, yearly basis पर अपने बिजनेस का निकाल सकते है.  इसका फार्मूला आप समझ सकते हैं. 

Revenue = Cost+profit

Expense

 बिजनेस में जो पैसे खर्च किए जाते हैं उसे एक्सपेंस कहते हैं वैसे आप लोगों को मालूम होगा कि एक्सपेंस का हिंदी खर्च  होता है और यह खर्च दो प्रकार के होते हैं अर्थात एक्सपेंस दो प्रकार के होते हैं. 

जैसे डायरेक्ट एक्सपेंस और इनडायरेक्ट एक्सपेंस

1-Direct expense

व्यापार मे जो खर्च पहले से मालूम नहीं होता है कि यह खर्च कब होगा जैसे किसी व्यक्ति की मजदूरी,  गाड़ी का भाड़ा आदि यह सभी डायरेक्ट एक्सपेंस के कैटेगरी में आता है . 

2- Indirect Expense 

 व्यापार मे जब कोई खर्च पहले से मालूम होता है कि यह month के लास्ट खर्च होगा जैसे  अपने कर्मचारियों को वेतन,  बिजली बिल पेमेंट. दूसरे शब्दों मे office से सम्बन्धित सभी प्रकार की खर्च indirect expense मे आते है तथा फैक्ट्री से सम्बन्धित सभी प्रकार की खर्च डायरेक्ट एक्सपेंस मे आते हैं। 

Expenditure 

  बिजनेस में जो भी assets, service, खरीदा जाता है वहां पर खरीद के समय सभी प्रकार के खर्चे एक्सपेंडिचर कहलाता है एक्सपेंडिचर तीन प्रकार के होते हैं जैसे

1-Capital Expenditure 

किसी बिजनेस में जब हम  कोई assets खरीदते हैं तो वह कैपिटल एक्सपेंडिचर में आता है

2-Revanue Expenditure 

 बिजनेस का  वह  खर्च जो 1 साल के अंदर ही वह रिसीव हो जाता है तो वह सभी खर्च है रिवेन्यू एक्सपेंडिचर के कैटेगरी में आता है जैसे आप बिजनेस का बिजली का भुगतान करना. 

3- Defer Revenue Expenditures 

 वह खर्च जो एक बार किया जाता है लेकिन उसका लाभ कई सालों तक मिलता रहता है तो उस तरह की जो खर्च होती है उसे Defer revenue expenditures  कहा जाता है.  जैसे जब हम अपने बिजनेस का कोई एडवर्टाइज मतलब प्रचार कराते हैं  तो उसका खर्च  एक बार ही होता है लेकिन उसका लाभ कई सालों तक मिलता रहता है इसलिए इस प्रकार के खर्च कई सालों में दिखाते हैं.

Stock

 बिजनेस  की वह माल जो अभी बेचा नहीं गया है उसे स्टॉक कहते हैं.

Income 

 व्यवसाय में जो पैसा प्राप्त होता है वह उस व्यवसाय की इनकम होती है .  वैसे तो किसी व्यक्ति के पास चाहे जिस  स्रोत ( source)  से पैसा प्राप्त होता है वह उसका इनकम कहलाता है वह इनकम सैलरी से, रूम रेंट,  कमीशन आदि माध्यम हो सकते हैं. 

Income दो प्रकार का होता है। 

1. Direct Income

2। Indirect income 

Account

  किसी बिजनेस में जो खर्च (Expense) होते हैं और जो इनकम होती है उसको सही तरह से लिखना Account कहलाता है. 

 दूसरे शब्दों में किसी बिजनेस में हो रहे लेनदेन (Transaction) को एक व्यवस्थित तरीके से लिखना अकाउंट कहा जाता है. 

Invoice 

 इनवास का मतलब पर्ची होता है जब आप बिजनेस में किसी सामान का लेनदेन करते हैं तो उस पर्ची में  खरीद बेच से संबंधित  जानकारी लिखा होता है  उसे ही इनवॉइस  कहा जाता है. 

Voucher 

वाउचर एक प्रकार का डॉक्यूमेंट होता है जो व्यवसाय में  हो रहे ट्रांजैक्शन को लिखा जाता है.  जैसे यदि कोई व्यापारी अपने व्यवसाय में कोई सामान बेचते हैं तो उसका रिकॉर्ड की इंट्री सेल वाउचर (sales voucher) मे करते हैं. यदि सामान खरीदते हैं तो उसकी इंट्री परचेज वाउचर( Purchase Voucher) मे करते हैं. यदि आप किसी को पैसा पेमेंट करते हैं तो उसकी इंट्री पेमेंट वाउचर(Payment voucher) मे करते हैं.  यदि  आपको कहीं से पैसा मिलता है तोउसकी इंट्री रिसीव वाउचर में करते  हैं. तो इस तरह से आप समझ गए होंगे कि वाउचर बहुत तरह के होते हैं विभिन्न प्रकार के ट्रांजैक्शन के लिए विभिन्न प्रकार के वाउचर होते हैं.

Profit

 Business में जो पैसे खर्च(expense) होते हैं और जो पैसा प्राप्त( income)  होता है तो प्राप्त पैसे में से खर्च हुआ पैसा को निकालने के बाद जो पैसा बचता है वह प्रॉफिट है साथियों प्रॉफिट के लिए हमेशा खर्चा कम और आय ज्यादा होना चाहिए. 

Frofit= income-expense

Loss

 जब व्यवसाय में खर्चा अधिक और आय कम होता है तो  वहा बिजनेस  की हानि (loss) होती है इस तरह से वह बिजनेस बंद हो जाता है. 


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